बिहार में अब तक 34.29% बारिश, पढ़ें ऑडिट रिपोर्ट:इस साल टूट सकता है बारिश का रिकॉर्ड, अब तक सामान्य से 119 फीसदी अधिक; सिर्फ 2 जिलों में सामान्य से कम हुआ पानी

बिहार में इस साल झमाझम बारिश हो रही है। जून के 30 दिनों में ही 339.5 MM बारिश हुई है, जो सामान्य से 119 फीसदी अधिक है। मौसम विभाग की मानें तो आने वाले 90 दिनों में पिछले कई साल का रिकॉर्ड टूट सकता है। अब तक बिहार के 38 जिलों में से 36 में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है, जबकि पूर्णिया और किशनगंज में सामान्य से कम बारिश हुई है।


पूरे मानसून सत्र में बिहार में 990 MM बारिश होनी चाहिए। इस बार 29 जून तक पूरे बिहार में 339.5 MM बारिश हुई है। यानी, अब तक 34.29 फीसदी बारिश हुई है। एक जून से 30 सितंबर तक मानसून का सत्र माना जाता है। ऐसे में आने वाले दिनों में भारी बारिश की संभावना है।


मौसम विभाग के मुताबिक, पूर्णिया और किशनगंज में बारिश कम होने का कारण चक्रवाती परिसंचरण का उत्तर प्रदेश के आसपास बना रहना है, लेकिन 1 जुलाई से मौसम के नए सिस्टम के एक्टिव होने से इन क्षेत्रों में रिकॉर्ड तोड़ बारिश की संभावना है। जून में सामान्य से अधिक बारिश होने के कारण तालाब और नदियों के जल स्तर में भी 70 फीसदी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। कृषि कार्य के लिए तो प्री मानसून की बारिश ही पर्याप्त हो गयी थी।

एक दिन पहले आया मानसून तोड़ेगा बारिश का रिकॉर्ड


बिहार में इस बार मानसून 13 जून के बजाए एक दिन पहले 12 जून को आ गया है। मानसून के समय से पहले आने के कारण मौसम विभाग ने इस बार सामान्य से अधिक बारिश का अलर्ट किया था। 2020 में जून में अब तक 329 MM बारिश हुई थी। मौसम विभाग का कहना है कि मानसून सत्र के अगले 90 दिनों में बिहार के उत्तरी भाग में बारिश अधिक होगी।


जहां से मानसून ने किया प्रवेश, वहीं कम हुई बारिश


मौसम विज्ञान केंद्र पटना के डायरेक्टर विवेक सिन्हा बताते हैं कि मानसून एक दिन पहले आया, लेकिन पूर्वी भाग को लेकर मौसम का कोई ऐसा सिस्टम नहीं बना था। जिससे मानसून के इंटर करने के दौरान उस भाग में बारिश हो। मानसून जब इंटर किया तो चंक्रवाती परिसंचरण झारखंड और उत्तर प्रदेश के आसपास बना था। इस कारण से उत्तर प्रदेश से सटे बिहार के पश्चिमी भाग और झारखंड से सटे बिहार के दक्षिणी भाग में बारिश हुई।


अब मौसम के सिस्टम में एक जुलाई से परिवर्तन होगा, जिससे बिहार के उत्तरी भाग में अधिक बारिश होगी। इस सिस्टम से अब तक जहां कम बारिश हुई वहां भी अब बारिश अधिक होगी। आने वाले समय में पूरे उत्तर बिहार के तराई के जिलों में भारी बारिश की संभावना बन रही है।


मौसम विभाग का कहना है कि पूर्णिया और किशनगंज में कम बारिश हुई। किशनगंज में 315.9 MM बारिश हुई, जो सामान्य 325.7 MM से 3% कम है। पूर्णिया में 203.1 MM बारिश हुई, जो सामान्य 368 MM से 24 % कम है।


रिकॉर्ड तोड़ बारिश का कारण


जून में रिकॉर्ड तोड़ बारिश का बड़ा कारण बिहार में मानसून के इंटर करते समय चक्रवाती परिसंचरण का क्षेत्र बंगाल पर था। इसके बाद यह आगे बढ़कर उत्तर पश्चिम की दिशा की तरफ झारखंड और उसके आसपास के क्षेत्र में बना रहा। इसके बाद चक्रवाती परिसंचरण पूर्वी उत्तर प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों में बना रहा। इसके प्रभाव से बिहार में लगातार बारिश होती रही है।


जिलों में बारिश ने तोड़ा रिकॉर्ड


बिहार के 26 जिलों में लगातार बारिश हो रही है, जिससे रिकॉर्ड टूट रहा है। भागलपुर में 363 MM बारिश हुई, जो सामान्य 169.1 MM से 115 % अधिक है। गया में 333.6 MM बारिश हुई जो सामान्य 129.4 MM से 158 % अधिक है।


मुजफ्फरपुर में 286.2 MM बारिश हुई है, जो सामान्य 140.3 से 104 % अधिक है। पटना में तो आफत की बारिश हुई है जिससे शहर में भीषण जल जमाव हो गया। राजधानी पटना में 349.1 MM बारिश हुई, जो सामान्य 114.8 से 204 % अधिक है। इसी तरह राज्य के 36 जिलों में बारिश सामान्य से अधिक हुई है।


तालाबों के साथ बढ़ा नदियों का जल स्तर


बिहार में लगभग 33500 तालाब हैं। प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक, तालाबों में लगभग 70% पानी भर गया है। किशनगंज और पूर्णिया में थोड़ी समस्या है, लेकिन जिस तरह से बारिश का अनुमान है आने वाले दिनों में वहां भी तालाब पानी से भर जाएंगे। नदियों का जल स्तर भी बढ़ गया है। प्री मानसून में भी बारिश अधिक हुई और मानसून सत्र में लगातार बारिश हो रही है जिससे किसानों को काफी राहत हुई है।


हालांकि कृषि महाविद्यालय सबौर के डॉ संजय सहाय का कहना है कि इससे फलों की खेती प्रभावित होगी। डॉ संजय के मुताबिक, बारिश से 20% फलाें को नुकसान होगा। हालांकि किसान के लिए बुआई के लिए यह बारिश अमृत की तरह है। इस कारण से पानी को लेकर कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करनी पड़ेगी।


कृषि महाविद्यालय सबौर के पूर्व वीसी आर के सोहाने का कहना है कि अभी रुक-रुक कर बारिश हो रही है तो धान की खेती को नुकसान नहीं होगा, लेकिन अति वृष्टि हुई तो धान की फसल प्रभावित होगी। किसानों काे दोबारा बुआई करनी पड़ेगी। ऐसे में फसल 15 दिन पीछे हो सकती है। मक्का को काफी नुकसान होगा और सब्जी की खेती भी प्रभावित होगी। अति बारिश से किसानों को नुकसान भी होगा, बाजार में सब्जी की कीमत बढ़ेगी। बिहार में लगातार बारिश से धान को नुकसान भी हो सकता है।


 Source:-  dainik bhaskar

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