Bijapur Naxal Attack: बीजापुर जिले के कुटरू पुलिस थाने के अंबेली गांव के पास नक्सलियों ने जीआरजी जवानों के वाहन को आईईडी से उड़ा दिया, जिसमें आठ जवान और एक नागरिक चालक की मौत हो गई. इस कायराना अटैक के बाद सवाल उठने लगे हैं कि छत्तीसगढ़ में साल का सबसे बड़ा माओवादी हमला कैसे हुआ ? कहां हुई चूक?
पेड़ पर गिरा गाड़ी का टुकड़ा..
— NDTV MP Chhattisgarh (@NDTVMPCG) January 6, 2025
कितना विभत्स था बीजापुर ब्लास्ट इन तस्वीरों में देख लीजिए#Chhattisgarh । #NaxaliteAttack pic.twitter.com/XrPbls4xtb
26 अप्रैल 2023 के बाद यह सबसे बड़ा हमला
एक अधिकारी ने बताया कि पिछले दो वर्षों में नक्सलियों द्वारा सुरक्षाकर्मियों पर यह सबसे बड़ा हमला है. 26 अप्रैल, 2023 को पड़ोसी दंतेवाड़ा जिले में सुरक्षाकर्मियों को ले जा रहे एक काफिले में शामिल एक वाहन को नक्सलियों की ओर से उड़ाए जाने के बाद दस पुलिस कर्मियों और एक नागरिक चालक की मौत हो गई थी.
कहां हुई चूक?
जिस जगह यह विस्फोट हुआ वहां पक्की सड़क है. ऐसे में वहां बिना किसी को भनक लगे आईईडी प्लांट कर धमाका कैसे किया गया, यह बड़ा सवाल है? जानकारों का मानना है कि अक्सर ऐसी घटनाएं इंटेलिजेंस फेलियर की वजह से होती है. साथ ही सुरक्षा के कई मानकों को अनदेखा करने या तकनीकी कमजोरी की वजह जवान से ऐसे हमलों की भेंट चढ़ जाते हैं. उदाहरण के तैर पर ये जवान अबूझमाड़ में एक ऑपरेशन को अंजाम देकर लौट रहे थे. वे ऐसे खतरनाक इलाके में एक सामान्य पिकअप वाहन में सवार थे. जबकि बुलेटप्रुफ गाड़ी या फिर बाइक का इस्तेमाल कर हमले की भयावहता और जानमाल की क्षति को कम किया जा सकता है. प्रदेश के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने भी कहा है कि जह जांच और विचार करने का विषय है कि इतना बड़ा नक्सली हमला कैसे हो गया?
नक्सलियों की बौखलाहट या सरकार को चैलेंज?
साल 2026 तक नक्सलमुक्त छत्तीसगढ़ के इरादे से सरकार एड़ी-चोटी एक कर रही है. इस सिलसिले में पिछले एक साल के भीतर कई बड़े नक्सल विरोधी अभियान में माओवादियों को मुंह की खानी पड़ी है. उन्हें भारी जान-माल का नुकसान उठाना पड़ा है. इसी रणनीति के तहत शनिवार से नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चल रहा था. सुरक्षाबल के जवानों की अलग-अलग टुकड़ियां अबूझमाड़ के जंगलों में सर्च अभियान चला रही थीं. जवानों को बीजापुर, दंतेवाड़ा, कोंड़ागांव और जगदलपुर के जंगलों में रवाना किया गया था. अधिकारियों के अनुसार, शनिवार देर रात मुठभेड़ से नक्सली और जवानों के बीच मुठभेड़ चल रही है. रविवार को एक डीआरजी जवान प्रधान आरक्षक सन्नू कारम शहीद हुए थे. वहीं, जवानों ने 5 माओवादियों को भी मार गिराया था. ऐसे में माना जा रहा है कि यह हमला नक्सलियों ने बौखलाहट में की है. अपने कैडर के घटते मनोबल को बढ़ाने के लिए उन्होंने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है. डिप्टी सीएम अरूण साव का कहना है कि इस घटना से जवानों का मनोबल नहीं टूटेगा. उन्होंने कहा कि बीजापुर की घटना नक्सलियों की कायराना हरकत है. यह नक्सलियों की ओर से हताशा में किया गया हमला है. सुरक्षा बल के जवान उसी मजबूती से बस्तर को नक्सलमुक्त करने के अभियान में जुटे रहेंगे. पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने भी कहा कि इस शहादत को व्यर्थ नहीं होने देंगे. जवानों के मनोबल को कम नहीं होने देना है. बहरहाल, यह देखने वाली बात होगी कि इस हमले के बाद सरकार अपनी रणनीति को कैसे मजबूत करती है?
Sourc:- Ndtv
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